Padabhyanga Ayurvedic foot massage: हमारे शरीर में हजारों नसें और तंत्रिकाएं ऐसे बिंदुओं से जुड़ी होती हैं, जिनका केंद्र होता है पैरों का तलवा। आयुर्वेद में सदियों से एक अभ्यास प्रचलित है, जिसे कहते हैं पदाभ्यंग यानी घी और धातु के माध्यम से किया जाने वाला विशेष फुट मसाज, जो न केवल आराम देता है, बल्कि शरीर के भीतर मौजूद असंतुलन को पहचानने और ठीक करने में भी सहायक होता है।
हाल ही में एक वायरल वीडियो में इसे “टॉक्सिन्स निकलने की प्रक्रिया” बताया गया था, लेकिन वास्तव में जो काला रंग दिखाई देता है वह टॉक्सिन्स नहीं, बल्कि घी, धातु (जैसे कांसा या चांदी) और शरीर में मौजूद प्राकृतिक लवण या अम्लों के रासायनिक प्रतिक्रिया का परिणाम होता है।
क्या होता है पदाभ्यंग? | Padabhyanga Ayurvedic foot massage
पदाभ्यंग एक पारंपरिक आयुर्वेदिक फुट मसाज तकनीक है जिसमें गर्म घी और कांसे या चांदी की थाली या कटोरी से पैरों के तलवों की मालिश की जाती है। यह प्रक्रिया न केवल शारीरिक थकान को दूर करती है, बल्कि आयुर्वेद के अनुसार त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) को भी संतुलित करती है।
घी और धातु का महत्व क्यों है इस मसाज में?
- घी (देसी घृत):
घी तंत्रिका तंत्र को गहराई से पोषण देता है। पैरों के तलवों में मौजूद हजारों नर्व एंडिंग्स के माध्यम से यह शरीर के आंतरिक अंगों तक अपना प्रभाव पहुंचाता है। - कांसा या चांदी:
ये धातुएं शरीर की गर्मी, एसिडिटी और अतिरिक्त ऊर्जा को खींचने में सहायक मानी जाती हैं। कांसा विशेष रूप से वात-पित्त को संतुलित करने वाला माना जाता है।
काला रंग क्यों होता है दिखाई?
यह एक सामान्य रासायनिक प्रतिक्रिया है — धातु, घी और त्वचा पर मौजूद प्राकृतिक अम्ल या लवण के आपसी संपर्क से यह रंग बनता है। इसे “टॉक्सिन्स” का निकलना नहीं, बल्कि एक ऊर्जात्मक संकेत माना जाता है जो दर्शाता है कि शरीर में असंतुलन या अधिक एसिडिटी मौजूद हो सकती है।
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पदाभ्यंग से मिलने वाले प्रमुख लाभ:
- मानसिक तनाव में राहत और नींद में सुधार
- शरीर की गर्मी को शांत करना (विशेषकर गर्मियों में)
- त्वचा, हार्मोन और पाचन स्वास्थ्य में सुधार
- शारीरिक ऊर्जा और जीवन शक्ति को पुनः जाग्रत करना
- लसीका तंत्र (lymphatic system) को उत्तेजित करना और डिटॉक्स में सहायक
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से महत्व | Padabhyanga Ayurvedic foot massage:
आयुर्वेद में इसे “स्रोतस” (energetic channels) की शुद्धि का माध्यम माना गया है। यह न केवल शरीर को संतुलित करता है, बल्कि मन को भी शांत करता है। पदाभ्यंग को दैनिक दिनचर्या में शामिल करने की सलाह दी जाती है, विशेष रूप से रात्रि में सोने से पहले।
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एक सप्ताह आज़माएं और स्वयं महसूस करें अंतर
अगर आप लगातार थकान, नींद की कमी, चिड़चिड़ापन या अनियंत्रित हार्मोनल बदलावों से जूझ रहे हैं, तो पदाभ्यंग एक सौम्य लेकिन प्रभावी उपाय हो सकता है। सात दिन इसे अपनाएं और खुद अपने शरीर में हो रहे सकारात्मक परिवर्तन को महसूस करें।
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