Precocious Puberty: कभी किशोरावस्था (puberty) एक ऐसा चरण माना जाता था, जो 11 से 14 साल की उम्र के बीच आता था। लेकिन अब भारत में मां-बाप और बाल रोग विशेषज्ञ यह देख रहे हैं कि सिर्फ 6 या 7 साल की उम्र में ही बच्चों में किशोरावस्था के लक्षण दिखाई देने लगे हैं। इसे मेडिकल भाषा में Precocious Puberty कहा जाता है, जो सिर्फ जैविक नहीं बल्कि मानसिक और सामाजिक संकट भी बन चुका है।
क्या है Precocious Puberty?
जब लड़कियों में 8 साल से पहले और लड़कों में 9 साल से पहले किशोरावस्था के संकेत दिखने लगें, तो उसे Precocious Puberty कहते हैं। इसका कारण होता है दिमाग से निकलने वाले हार्मोनल सिग्नल्स का समय से पहले एक्टिव हो जाना। इसमें हाइपोथैलेमस, पिट्यूटरी ग्लैंड और गोनाड्स (अंडाशय या वृषण) शामिल होते हैं।
बढ़ती हुई समस्या और Parents की चिंता
Delhi, Mumbai, Lucknow, Ahmedabad जैसे शहरों में 7-8 साल के बच्चों में बालों का आना, आवाज़ बदलना और मासिक धर्म शुरू होना अब आम घटनाएं बन रही हैं। Pediatricians मानते हैं कि पिछले 5 सालों में precocious puberty in India के केस दोगुने हो चुके हैं। चिंता की बात यह है कि यह ट्रेंड अब छोटे शहरों और कस्बों तक पहुंच चुका है।
Precocious Puberty के मुख्य कारण
1. High-Fat Junk Food
Fast food और sugary drinks शरीर में फैट को बढ़ाकर hormonal imbalance पैदा करते हैं। Excessive body fat सेक्स हार्मोन को जल्दी एक्टिव कर देता है।
2. Vitamin D की कमी और कम धूप में रहना
बच्चे अब ज़्यादातर समय indoor screen time में बिताते हैं, जिससे Vitamin D Deficiency होती है और यही imbalance puberty को trigger कर सकती है।
3. Plastic Bottles और BPA Exposure
Plastic में पाया जाने वाला Bisphenol A (BPA) हार्मोन को mimic करता है और estrogen की तरह काम करता है, जिससे puberty जल्दी शुरू हो सकती है।
4. Cosmetics में मौजूद Phthalates
परफ्यूम, बॉडी स्प्रे, क्रीम और स्किन प्रोडक्ट्स में मौजूद phthalates testosterone level को प्रभावित कर सकते हैं।
5. Over Screen Time
Excessive gadgets usage melatonin को suppress करता है, जो सामान्य रूप से puberty को delay करता है। कम melatonin से early puberty हो सकती है।
6. Mental Stress और Cortisol Level
Toxic environment या family discord cortisol hormone को बढ़ाता है, जिससे hormonal activity प्रभावित होती है।
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शुरुआती Puberty के लक्षण
लड़कियों में:
- 8 साल से पहले स्तनों का विकास
- अंडरआर्म और pubic hair
- 7 या 8 की उम्र में periods
लड़कों में:
- Penis और testicle का जल्दी बढ़ना
- मूंछें-दाढ़ी आना
- आवाज़ का भारी होना
दोनों में:
- Height का अचानक बढ़ना
- मूड स्विंग्स, sexual curiosity और acne
Early Puberty का मानसिक असर
बच्चे जो शारीरिक रूप से आगे बढ़ जाते हैं, लेकिन मानसिक रूप से अब भी नादान होते हैं, वे emotional mismatch का शिकार हो सकते हैं। ऐसे बच्चों में anxiety, depression, और low self-esteem आम हैं। Bangalore में हुई 2022 की स्टडी बताती है कि जल्दी मच्योर होने वाले बच्चों को peer pressure और academic challenges ज़्यादा झेलने पड़ते हैं।
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Parents क्या करें? Early Puberty से कैसे निपटें
1. Balanced Diet पर फोकस करें
Junk food को पूरी तरह हटा दें। बच्चों को whole grains, green veggies, lean proteins और nuts दें।
2. Plastic-Free Life अपनाएं
BPA-free बॉटल्स, steel lunch box और glass containers का इस्तेमाल करें।
3. Screen Time को सीमित करें
2 घंटे से ज़्यादा gadget usage न होने दें। Outdoor games और hobbies को encourage करें।
4. Regular Check-Ups कराएं
Hormonal changes पर नज़र रखें। unusual behavior या physical symptoms दिखें तो pediatric endocrinologist से सलाह लें।
5. Emotionally Available रहें
बच्चों से खुले में बात करें। उन्हें अकेला न महसूस होने दें और उनके सवालों का scientific और friendly जवाब दें।
Precocious Puberty का इलाज और समाधान
अगर समय रहते इसका पता चल जाए, तो treatment से इस प्रक्रिया को रोका या delay किया जा सकता है:
- Hormonal Therapy (GnRH analogs) से sexual development को धीमा किया जा सकता है
- Lifestyle changes और toxin-free environment से बड़ा असर होता है
- Counseling और parental support से emotional imbalance को ठीक किया जा सकता है
बचपन को बचाइए, उसे जल्दी खत्म न होने दें
Precocious Puberty in India सिर्फ एक मेडिकल समस्या नहीं बल्कि सामाजिक चेतावनी है। यह बताता है कि हमारी lifestyle, environment और parenting में सुधार की ज़रूरत है। यदि आप चाहते हैं कि आपका बच्चा स्वस्थ और emotionally stable बने, तो अभी से एक health-focused, toxin-free और emotionally supportive environment तैयार कीजिए।
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