मोटापा नहीं बीमारी, एक ‘Global Emergency’ है! WHO की रिपोर्ट हैरान कर देगी

WHO obesity report 2025

WHO obesity report 2025: आज की तेज़ भागती ज़िंदगी में मोटापा अब केवल एक शारीरिक समस्या नहीं रह गया, बल्कि यह एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य संकट बन चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, मोटापा एक जटिल और पुरानी बीमारी है, जो शरीर में अत्यधिक चर्बी जमा होने के कारण होती है और यह डायबिटीज़, हृदय रोग, कैंसर और मानसिक समस्याओं जैसी कई गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकती है।

मोटापे की पहचान कैसे होती है?

WHO के अनुसार मोटापे और अधिक वजन की पहचान के लिए सबसे आम तरीका है BMI (बॉडी मास इंडेक्स) को मापना। यह इस तरह से निकाला जाता है:
वज़न (किलोग्राम) ÷ ऊंचाई² (मीटर में)

  • वयस्कों के लिए:
    • अधिक वजन: BMI ≥ 25
    • मोटापा: BMI ≥ 30
  • 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में:
    • अधिक वजन: WHO बाल विकास मानक से 2 SD ऊपर
    • मोटापा: WHO मानक से 3 SD ऊपर
  • 5–19 वर्ष के किशोरों के लिए:
    • अधिक वजन: WHO मानक से 1 SD ऊपर
    • मोटापा: WHO मानक से 2 SD ऊपर

2022-2024 में मोटापे का वैश्विक परिदृश्य

  • 2022 में दुनिया भर में 2.5 अरब वयस्क अधिक वजन के शिकार थे, जिनमें से 89 करोड़ मोटापे से ग्रस्त थे।
  • 1990 में जहां केवल 25% वयस्क अधिक वजन के थे, वहीं 2022 में यह आंकड़ा 43% हो गया।
  • 2024 में 5 साल से कम उम्र के 3.5 करोड़ बच्चे अधिक वजन के शिकार पाए गए।
  • 5–19 आयु वर्ग के 39 करोड़ से अधिक बच्चे व किशोर अधिक वजन के शिकार हैं, जिनमें से 16 करोड़ मोटापे से ग्रस्त हैं।

मोटापे के कारण क्या हैं?

  • ऊर्जा का असंतुलन (खाना ज़्यादा, शारीरिक मेहनत कम)
  • अनुवांशिक कारण
  • दवाओं या बीमारियों के दुष्प्रभाव
  • शहरीकरण और जीवनशैली में बदलाव
  • सस्ते लेकिन पोषणहीन खाने का बढ़ता चलन

स्वास्थ्य पर असर: मोटापा नहीं, एक खामोश कातिल

  • टाइप 2 डायबिटीज़
  • दिल के रोग
  • कुछ किस्म के कैंसर
  • हड्डियों की समस्या
  • प्रजनन क्षमता पर असर
  • मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट
  • बचपन में मोटापा आगे चलकर वयस्क मोटापे में बदल जाता है

2021 में, अधिक BMI के चलते दुनियाभर में 3.7 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई थी।

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आर्थिक बोझ: जेब पर भारी पड़ेगा मोटापा

अगर मोटापे पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो

  • 2030 तक वैश्विक आर्थिक लागत $3 ट्रिलियन/साल
  • 2060 तक यह लागत $18 ट्रिलियन तक पहुँच सकती है

दोहरी चुनौती: कुपोषण और मोटापा एक साथ

कम और मध्यम आय वाले देशों में अब एक नई समस्या देखने को मिल रही है — जहां एक ओर कुपोषण है, वहीं दूसरी ओर बढ़ता मोटापा। एक ही घर में, एक ही समुदाय में कुपोषण और मोटापा साथ-साथ देखने को मिल रहा है।

बच्चे एक ओर पोषक आहार से वंचित हैं, वहीं दूसरी ओर उन्हें मिल रहा है

  • अधिक वसा,
  • अधिक शक्कर,
  • अधिक नमक और
  • पोषणविहीन फास्ट फूड,
    जो कीमत में सस्ता तो है लेकिन सेहत के लिए बेहद हानिकारक।

रोकथाम और समाधान क्या हैं?

व्यक्तिगत स्तर पर:

  • गर्भावस्था के दौरान सही वजन बनाए रखना
  • 6 महीने तक शिशु को केवल स्तनपान कराना
  • बच्चों को हेल्दी खाने और फिजिकल एक्टिविटी की आदत डालना
  • मीठे पेय और जंक फूड से दूरी
  • फल, सब्ज़ी, साबुत अनाज और दालों का सेवन
  • नियमित व्यायाम

स्वास्थ्य सेवाओं की भूमिका:

  • समय पर वजन और ऊंचाई की जांच
  • लाइफस्टाइल पर काउंसलिंग
  • गंभीर मामलों में दवा या सर्जरी से उपचार
  • अन्य जोखिम कारकों की निगरानी

नीतिगत बदलाव और उद्योग की जिम्मेदारी:

  • प्रोसेस्ड फूड में वसा, नमक, और चीनी की मात्रा कम करना
  • हेल्दी विकल्पों को किफायती बनाना
  • बच्चों के लिए अनहेल्दी फूड का विज्ञापन सीमित करना
  • वर्कप्लेस में हेल्दी फूड और एक्सरसाइज को बढ़ावा देना

WHO की भूमिका और नई योजना

2022 की 75वीं वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में WHO ने “Obesity Acceleration Plan” को अपनाया, जिसका उद्देश्य है:

  • वैश्विक स्तर पर मोटापे की रोकथाम
  • प्राथमिक स्वास्थ्य प्रणाली को सशक्त बनाना
  • नीति निर्माण और क्रियान्वयन को गति देना
  • जवाबदेही और निगरानी को मज़बूत करना

मोटापा आज सिर्फ एक बीमारी नहीं, बल्कि एक सामाजिक और वैश्विक चुनौती है। यह केवल व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है कि वह ऐसा माहौल बनाए जहां स्वस्थ आहार और सक्रिय जीवनशैली आम जीवन का हिस्सा बन जाए। जब तक सरकारें, समुदाय और उद्योग एक साथ मिलकर कदम नहीं उठाएंगे, तब तक यह महामारी थमेगी नहीं।

Source: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)

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